दिनकर-एकलव्य

दिनकर रातों को दिन में बदले, दिनकर वही कहलाते थे सत्ता का पैर जब फिसले राष्ट्रकवि तब हाथ बढ़ाये थे, सत्ता में रह सत्ता का मर्दन दिनकर ही कर सकते…