रीढ़ देश की हैं मजदूर। नेह सुधा सुख दें भरपूर।। नित्य बहाते श्रम का स्वेद। मन में कभी न रखते भेद।। चाहे पथ हो या खलिहान। रखते हैं वे श्रम…
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पुस्तकें: ज्ञान का वरदान – देवकांत मिश्र ‘दिव्य’
पुस्तकें प्रेरणा वान, ज्ञान का है वरदान, सच्चा मीत मानकर, आत्मसात कीजिए। प्रतिदिन खोलकर, पाठ करें बोलकर, शारदे का अद्भुत ये, वरदान लीजिए। नये नये शब्द पढ़, सुंदर विचार गढ़,…
विधा: दोहा – देवकांत मिश्र ‘दिव्य
विधा: दोहा पृथ्वी दिवस मनाइए, लेकर नव विश्वास। जन-जन को जागृत करें, पेड़ लगाएँ पास।। हरित दिखे धरती सदा, ऐसा लें संकल्प। वृक्षारोपण में कभी, जोश न हो अल्प।। पादप…
गुरुवर सच्चे कर्णधार-देव कांत मिश्र दिव्य
गुरूवर सच्चे कर्णधार गुरूवर तुम सच्चे कर्णधार सारे शिष्यों का बहुत भार। दिव्य ज्ञान की जोत जलाकर निशिवासर करते उपकार ।। गुरूवर……….. पूजनीय तुम वंदनीय हो तुम हो अजस्र…
राखी-देव कांत मिश्र दिव्य
राखी पावन सावन मास में आकर अनुपम स्नेह लुटाती राखी। भैया के हाथों में सजकर मन ही मन मुस्काती राखी।। रंग-बिरंगे फूलों जैसी प्रेम सुधा बढ़ाती राखी। हीरे, मोती,…