शेक्सपियर सानेट शैली देह का मन से मिलन करिए। प्रभु से नाता मन से जोड़ें। धैर्य नियम को प्रतिदिन धरिए ध्यान आसन की छाप छोड़ें।। योग जीवन सुंदर आयाम कर्म-कुशलता…
Tag: देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
प्रेम दिव्य अनुभूति परम है- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
प्रेम दिव्य अनुभूति परम है आओ हम विश्वास बढ़ाएँ। प्रेम मग्न हों प्रभु को भजकर, अंतर्मन नव भाव जगाएँ। प्रेम पंथ पर पग जो रखते बन जाती है नई कहानी।…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
पिता विटप की छाँव है, देता शिशु आराम। रोटी कपड़ा गेह भी, सुखद सृष्टि आयाम।। पिता शांति का दूत है, पिता सृष्टि आधार। पिता सदन की शान है, करते बेड़ा…
शेक्सपियर सानेट शैली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य
पिता उम्मीद एक आस है। संतानों की दिव्य पहचान। परिवार अटूट विश्वास है। स्वाभिमान तो कभी अभिमान। कभी पिता निज अंस बिठाते सतत भरोसा एक आधार। अँगुलि पकड़कर सैर कराते…
मनहरण घनाक्षरी- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
प्रातः हम जग जाएँ, शीतल समीर पाएँ, प्राची की लालिमा देख, कदम बढ़ाइए। हरे-भरे तरु प्यारे, लगते सलोने न्यारे, इनके लालित्य पर, मन सरसाइए। नदी का पावन जल, बागों के…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
श्रमिक दिवस पर हम सभी, करें श्रमिक-सम्मान। श्रम की निष्ठा में निहित, नवल शक्ति पहचान।। श्रम को जीवन धारिए, करिए मत आराम। यही श्रमिक की साधना, यही फलित आयाम।। सत्कर्मों…
विधा: कुंडलिया – देव कांत मिश्र ‘दिव्य
आओ मिलकर हम सभी, करें श्रमिक सम्मान। श्रम की निष्ठा में निहित, नवल शक्ति पहचान।। नवल शक्ति पहचान, दिव्य आँखों से करिए। श्रम है बड़ा महान, इसे निज मन में…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य
करिए वंदन शंभु का, लेकर पूजन थाल। उनकी महिमा है बड़ी, उनका हृदय विशाल।। शिव के पावन नाम का, गाएँ नित गुणगान। निश्छल मन में कीजिए, शुचिमय चिंतन-भान।। शिव शिव…
हे स्वर की देवी माँ – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
हे स्वर की देवी माँ, वाणी मधुरिम कर दो। मैं दर पर आया हूँ, शुचि ज्ञान सुमति वर दो।। इंदीवर पर राजित, है श्वेत हंस वाहन। वेदों की जननी माँ,…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
राम नाम रटते रहो, लेकर मन विश्वास। प्रभु तो दीनदयाल हैं, रखो दया की आस।। राम नाम सुखधाम है, राम नाम अभिराम। धर्म मार्ग चलते रहो, लेकर प्रभु का नाम।।…