दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य

आत्म ज्योति ज्ञानाज्य से, करें दीप्तिमय आज। लेकर नव संकल्प से, रखिए सुखी समाज।। भाव हमेशा उच्च रख, करिए प्रभु से प्यार। अमित तोष आनंद की, खुशियाँ मिले अपार।। अवलि…

कुंडलिया- देव कांत मिश्र ‘दिव्य

माता की आराधना, करो सदा प्रणिपात। अंतर्मन के भाव में, भरो नहीं आघात।। भरो नहीं आघात, कर्म को सुंदर करना। मन की सुनो पुकार, पाप को वश में रखना। पढ़कर…

रामधारी सिंह दिनकर – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

जन्म दिन कविवर, गाएँ गुण मिलकर, दिनकर उपनाम, सभी विधा जानते। जन्मे थे कृषक घर, मिला मातु शुभ वर, सूर्य-सा दैदीप्यमान, राष्ट्र उन्हें मानते। कवि दिव्य मन वाले प्रतिभा जगत…

दोहावली-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

दोहावली उत्तरायणी पर्व का, हुआ सुखद आगाज। ढोल नगाड़े बज रहे, होंगे मंगल काज।। सूरज नित अभिराम है, जीवन का आधार। देव रूप पूजे सदा, सारा ही संसार।। बदल दिशा…

नव वर्ष हृदय स्वीकार करो-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

नव वर्ष हृदय स्वीकार करो नव वर्ष हृदय स्वीकार करो। पावन नूतन प्यार भरो। राग द्वेष को दूर भगाकर, नित्य नया विश्वास जगाकर, दीनों का उद्धार करो। पावन नूतन प्यार…

प्रार्थना-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

प्रार्थना स्वर की देवी माँ सरस्वती वाणी मधुरिम कर देना। भक्ति भाव से आया हूँ मैं गीतों में रस, भर देना।। भाव पुष्प माँ लेकर आया और क्या माँ, चढ़ाऊँ…

गंगा – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

पापनाशिनी मोक्षदायिनी। पुण्यसलिला अमरतरंगिनी। ताप त्रिविध माँ तू नसावनी तरल तरंग तुंग मन भावनी।। भक्ति मुक्ति माँ तू प्रदायिनी सकल जगत के दुख हारिणी। जग का पालन करने वाली सबके…

प्रभात-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

प्रभात हम प्रभात की दिव्य किरण बन जग को राह दिखाएँगे। वसुधा कलियाँ नई खिलाकर महक सदा बिखराएँगे।। तिमिर सदा ही दूर भगाकर जीवन सुमन खिलाएँगे। कदम-कदम पर खुशियाँ देकर…