निश्छल बंधन-नितेश आनन्द

निश्छल बंधन अतुलनीय है प्रकृति जिसकी, मिली है उसकी छांव हमें, बिन बंधनों के साथ चला मैं, मिल जाए कहीं वरदान हमें। स्वभाव सरल तो है हीं तेरा, हृदय भी…

ममता के आंचल में शिक्षा-नितेश आनन्द

ममता के आंचल में शिक्षा जन्मदात्री तो नहीं तुम, लेकिन मां का प्यार दिया है तूने। नन्ही कदमों से जरूर था आया, चल के दौड़ना सिखाया तूने। जब कभी बाधाएं…

पहला पग-नितेश आनन्द

पहला पग आया तो था खाली हाथ हीं वो, लेकिन उम्मीदों से भरा पड़ा था वो। एक सिकन जरूर थी चेहरे पर उसके, क्या घर की ममता मिल पाएगी यहां…