जातिगत गणना के….. .. सुन ल बयार हे.. ….. घर घर गइनी, आदमी गिननी, बीबी गिननी, बुतरू गिननी, गिननी मोटर कार। हाय हाय रे सरकार, अब त दे द पगार,…
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चंचल वन में मनी है होली-निधि चौधरी
एक बाल कविता होली आई होली आई, चंचल वन की टोली आई। शेर, जिराफ,लोमड़ी, सियार, सभी को भाया है त्योहार। बिल्ली मौसी ने तलें है पुए, पीछे पड़े है उनके…
चंचल वन में वेक्सीन-निधि चौधरी
चंचल वन में वेक्सीन चंचल वन में आया कोरोना, भूल गए सब खेल खिलौना। बंदर मामा को हुआ बुखार, डूबा चिंता में जंगल परिवार। डाल डाल पर कूदा फानी, करते…
मैं ही दुर्गा भवानी हूँ-निधि चौधरी
मैं ही दुर्गा भवानी हूँ कभी शबरी सी मैं निश्छल कभी झांसी की रानी हूँ । मैं ही बेटी, मैं ही माँ हूँ, मैं ही दुर्गा भवानी हूँ । न…
चंचल वन में कोरोना-निधि चौधरी
चंचल वन में कोरोना चंचल वन में आया कोरोना, भूल गए सब खेल खिलौना। बंदर मामा को हुआ बुखार, डूबा चिंता में जंगल परिवार। डाल डाल पर कूदा फानी, करते…
नूतन वर्ष की बधाई-निधि चौधरी
नूतन वर्ष की बधाई देखो फसलें लहलहा रहें, पेड़ भी हैं फलों से लदें, ये कैसी मंगल बेला आई, नूतन वर्ष की नूतन बधाई। पावन पावन पवन चले, फूलों की…
चंचल वन में मनी है होली-निधि चौधरी
चंचल वन में मनी है होली होली आई होली आई, चंचल वन की टोली आई। गधे, भेड़, लोमड़ी, सियार, मना रहे रंगों का त्योहार। बिल्ली मौसी ने तलें है पुए,…
बिहार की कहानी-निधि चौधरी
बिहार की कहानी मेरी मिट्टी के किस्से सदियों पुरानी, सुनाने मैं आई हूँ बिहार की कहानी। मैं नर में महावीर नारी में सीता, गंगा सी मैं हूँ, पावन सरिता। गज…
एक गिलहरी-निधि चौधरी
एक गिलहरी बड़े पेड़ पर एक गिलहरी, उसे बुलाते सभी सुनहरी। जन्म जब यह लेती है, आँखों से अंधी होती है। धीरे धीरे बढ़ती जाती, फिर दुनियाँ देख पाती। झाड़ियों…
बैंगन की सगाई-निधि चौधरी
बैंगन की सगाई बैंगन ने धूम धूम शादी रचाई, दुल्हन बन के भिंडी है आई। नाचे करेला और अदरक भाई गोभी ने झूम झूम मंडप सजाई। शलजम परबल समधी बने…