हुआ सबेरा जाग उठा जीवन प्रभात! धरा की दूब पर मोती स्वरुप ओस हैं पड़े मंद-मंद वयार ताजगी के फूल खिले हैं अड़ें ओस की बूंदें धरती का करे शीतल…
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प्रकृति-अनुपमा अधिकारी
प्रकृति जब जब करोगे प्रकृति से छेड़छाड़, तब तब होगा सुन लो पृथ्वी पर नरसंहार! पेड़, पहाड़, नदियां सुंदर इससे खेल रहा मानव, कब तक सहे इसे प्रकृति इसलिए मचा…
प्रकृति-मधु कुमारी
प्रकृति प्रकृति ने सजाया अद्भुत मेला लगे धरती भी जिससे अलबेला दिखे अम्बर कभी लाल, नीला तो कभी पीला। अजब गजब हैं करतब रचाते जादूगर हो जैसे खेल दिखाते सूरज,…
प्रकृति-भवानंद सिंह
प्रकृति प्रकृति का उपकार है सबपर जिससे जीवन आसान हुआ, प्रकृति सबका पोषण करती है जिससे जीवन खुशहाल हुआ। पानी है अनमोल धरोहर प्रकृति ने दिया है हमें, इसके महत्व…
प्रकृति-अर्चना गुप्ता
प्रकृति प्रकृति की प्रवृत्ति आदिकाल से ही निश्छल सहज और सौम्य रही है करती रही है चिरकाल से सबकी तृष्णाओं को तृप्त प्रवाहित होती रही है सदा स्थूल जगत में…
प्रकृति-प्रियंका प्रिया
प्रकृति हो व्याकुल मन की; व्यथित क्षुधा तुम, अमृत तुल्य; नीर सुधा तुम।। हे प्रकृति रुपी; ममता मयी, तू सदा रहे कालजयी, तू गोद में लिए अपने खड़ी, हे प्रकृति…