जीवन का वह स्वर्णिम क्षण, जो था नन्हा- मुन्ना बचपन । उस बचपन की कुछ यादें हैं, कुछ प्यारे-प्यारे वादे हैं । जो की थीं हमनें पेड़ों संग, गौरैयों संग,गुब्बारों…
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बैगलेस सुरक्षित शनिवार -प्रीति कुमारी
हम सबों का सपना हो रहा साकार, ढेरों खुशियां लेकर आया, बैगलेस सुरक्षित शनिवार । नाचेंगे गाएंगे,खेलेंगे कुदेंगे, मस्ती करेंगे दिन- भर, खेल खेल में शिक्षा पाकर आगे बढेंगे हर…
नव बसंत-प्रीति कुमारी
नव बसंत बीत गए दिन पतझड़ के अब नव बसंत फिर से आया, खुशियों से भर आई आँखें जीवन का कण-कण मुस्काया। वृक्षों के पल्लव हरे हुए मधुवन है फिर…
बचपन-प्रीति कुमारी
बचपन बचपन के वो अनमोल पल जैसे हो स्वच्छ और निर्मल जल। नहीं फिक्र किसी भी बात की न चिन्ता थी जज्बात की। बस खेल-कूद और थी मस्ती पढ़ना लिखना और…
छोटी सी रचना-प्रीति कुमारी
छोटी सी रचना मन के उदगारों को, शब्द मिल गये। कल्पना में सारे, फूल खिल गए। मन उड़ने लगा सपनों का पंख लगाकर। फिर थिरक उठी उंगलियाँ, कोरे कागज पर।…
कैद हो गई जिन्दगी-प्रीति कुमारी
कैद हो गई जिन्दगी कैद हो गई जिन्दगी, यूँ ही समय व्यतीत हो रहा, ऐसा लगता है मानो, दुर्गम है यह रास्ता। सभी लोग हैं डरे हुए, सहमें और सिमटे…
जीवन के आयाम-प्रीति कुमारी
जीवन के आयाम सुबह हुई अब आँखें खोलो, बिस्तर छोड़ो, मुहँ हाथ धोलो। नित्य क्रिया से निबट जाओ तुम, पढाई-लिखाई में मन लगाओ तुम। थोड़ा सा योगा, थोड़ा सा ध्यान,…
बचपन की यादें-प्रीति कुमारी
बचपन की यादें कभी फुरसत के क्षणों में, मन को टटोलने का, अवसर मिलता है तब , याद आती हैं – वो बचपन की बातें, वो चाँदनी रातें, वो गाँव…
पौधेे-प्रीति कुमारी
पौधे पौधे के हम पाँच अंग, जड़, तना, पत्ती, फूल और फल। जड़ पौधों को पानी देता, तना पत्तियों तक पहुँचाता। पत्ती लेती सूर्य से प्रकाश, वायुमंडल से कार्बन डायऑक्साइड…
अपना बिहार-प्रीति कुमारी
अपना बिहार पुनीत पावन अपना बिहार, चिर परिचित जिसकी है मुस्कान, जिसकी धरती सोना उगले, पग-पग पर जहाँ खुशियाँ ही मिले, जहाँ बसता है हर दिल में प्यार यही तो…