बेटियाँ – रूचिका

बेटियाँ बनकर रहमत जिंदगी में आती, गौरैया सी आँगन में फुदक फुदक कर, घर आँगन की देखो शोभा है बढाती, जोड़ती है दो परिवारों को अपने प्रेम से कुछ इस…

बेटी:अधिकार-मधु कुमारी

बेटी : अधिकार बाबा मैं भी अभिमान तुम्हारा मान-सम्मान संग संतान तुम्हारा मुझको भी है पढ़ने जाना शिक्षा का है दीप जलाना शिक्षा का अलख जलाऊँगी पढ़ लिखकर मैं भी…