दिल में है सच्चा प्यार मगर , करते क्यों ना इकरार प्रिय। बस सुनने को व्याकुल है मन, क्यों करते हो इनकार प्रिय। तेरी चाहत और अनंत प्रेम का किस…
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प्रात:स्मरण- मनु रमण “चेतना”
प्रात काल उठि गुरु – गुरु कहिये! गुरु पुरे का नाम सुमरि के, मन को वश में करिये । यह मन तो है बड़ा खुरफंद, बाहर भागे, रहे स्वच्छंद ,…
मनु के दोहे- मनु रमण चेतना
रामनवमी विशेष मनु शतरूपा तप किये, ध्यान धरे वह ईश। बोलो क्या वर दूं तुम्हें, प्रकट हुए जगदीश।। सोना चांदी कुछ नहीं,नहीं रतन धन खान । तुम जैसा हीं पुत्र…
दोहा (मां)- मनु रमण चेतना
मां की छवि को देखकर,आए जिय में जान। उनसे बढ़कर कुछ नहीं, वह होती भगवान।। मनसा अन्तर सेवतीं, वचसा कर फटकार। मृदु वचनामृत बोलकर, देतीं स्नेह अपार।। मां है धरती…
दोहा- मनु रमण चेतना
जब कोई तकलीफ़ हो, बिगड़े सारे काम। दुखी न होना चाहिए, भजिए केवल राम।। मोह दुखों का मूल है, तजिये सकल विकार। मंत्र-जाप दिन रैन कर,करिये भवनिधि पार। साहब हीं…
मां के बिना – मनु रमण चेतना
मां के बिना अब मेरा देखो , सूना यह संसार है। उदासी है घर में छाई, टूटा गम का पहाड़ है। खोई है मेरे घर की खुशियां , फींका अब…
लोहड़ी पर्व – मनु रमण चेतना
लोहड़ी आई!लोहड़ी आई। सबके मन में उमंग है छाई। सुख समृद्धि संग लेकर आती। सबको प्रेम से गले लगाती। पुराने फसल हैं काटे जाते । साथ नये फिर बोये जाते।…
स्वामी विवेकानंद – मनु रमण चेतना
स्वामी जी ने कर दिया,जग में ऐसा काम।। पर्वत से ऊँचा हुआ, फिर भारत का नाम।। राम कृष्ण गुरुदेव के ,पद पंकज सिरधार।। अमेरिका वह चल दिए, करने धर्म प्रचार।।…
शिक्षा से जग होगा उजियार – मनु रमण “चेतना”
कलम उठाई है मैंने, अब हूं लिखने को तैयार। सत्य स्याह से खूब लिखूंगी, झूठ कपट पर कर प्रहार। ईर्ष्या , नफरत, घृणा द्वेष सब, यूं जायेंगे अब तो हार।…
अरमान – मनु रमण चेतना
है दिल से यही अरमान मेरी, मैं कुछ करके दिखला जाऊं। आशाहीन मानव के घर, उम्मीद के दीप जला आऊं। अमीरों के संग सुख -दुख में , सब साथ खुशी…