सुन्दर सुभग मिथिला धाम से, पावन पवित्र भूमि रे। ललना रे जहां बसु राज विदेह, प्रजा प्रतिपालक रे। चकमक मिथिलाक मन्दिर, खहखह लागै गहबर रे। ललना रे सिया अइली धरती…
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गुरु महिमा-मनु रमण “चेतना”
गुरु महिमा गुरु महिमा अनंत लखे जेहिं आदि अंत, माता शारदा के संग वेद जो कहाते हैं। नरतन रूप धरे सगुण साकार किये, धरम उत्थान हेतु आप चले आते हैं।…
मैं चाहूँ भईया का प्यार-मनु रमण “चेतना”
मैं चाहूँ भईया का प्यार बहुत प्यारे हैं मेरे भईया माँ पापा के दुलारे हैं मेरे भईया ईश्वर उनकी रक्षा करना वो सुख से खेवे जीवन नैया।। मैं चाहूँ भैया…
मनु के दोहेे-मनु रमण चेतना
मनु के दोहे मनु शतरूपा तप किये, ध्यान धरे वह ईश। बोलो क्या वर दूं तुम्हें, प्रकट हुए जगदीश।। सोना चांदी कुछ नहीं, नहीं रतन धन खान। तुम जैसा हीं…