नदारद-मनोज कुमार पांडेय

 नदारद आया दौर फ्लैट कल्चर का, देहरी, आंगन, धूप नदारद। हर छत पर पानी की टंकी, ताल, तलैया, कूप नदारद।। पैकिंग वाले चावल, दालें, डलिया, चलनी, सूप नदारद।। बढ़ीं गाड़ियां,…