गुरु गुरु तुम्हारे नाम की, महिमा क्या समझाय। समझने की समझ भी, गुरु तुम्हीं से आय।। गुरु बिन ज्ञान मिले नहीं, प्रकट न होवे भाव। गुरु ही अक्षर ज्ञान दे,…
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प्रकृति के रंग-मनोज कुमार मिश्र
प्रकृति के रंग प्रकृति तेरे रंग हजार, अद्भुत लगता है यह संसार। रुखा सुखा पतझड़ भी है, और साथ में बसंत बहार।। हाड़ तोड़ती ठंड कहीं है, कहीं गर्मी का…
मेरा भारत-मनोज कुमार मिश्र
मेरा भारत है बहुत खुबसुरत ये देश हमारा, चहुँ ओर दिखता है अद्भुत नजारा। बना भाल कश्मीर, ढका बर्फ से है, चरण को पखारे तामिलनाडु प्यारा। है बहुत खुबसुरत…….. एक…
सरस्वती वंदना-मनोज कुमार मिश्र
सरस्वती वंदना जय शारदे, जय शारदे, जय शारदे, जय शारदे, दे ज्ञान का वरदान, औऱ अज्ञानता से तार दे।। जय शारदे……।। हम मुढ़ है, अज्ञानी है, अज्ञानता की खान है,…