गुरु-मनोज कुमार मिश्र

गुरु गुरु तुम्हारे नाम की, महिमा क्या समझाय। समझने की समझ भी, गुरु तुम्हीं से आय।। गुरु बिन ज्ञान मिले नहीं, प्रकट न होवे भाव। गुरु ही अक्षर ज्ञान दे,…

मेरा भारत-मनोज कुमार मिश्र

मेरा भारत है बहुत खुबसुरत ये देश हमारा, चहुँ ओर दिखता है अद्भुत नजारा। बना भाल कश्मीर, ढका बर्फ से है, चरण को पखारे तामिलनाडु प्यारा। है बहुत खुबसुरत…….. एक…

सरस्वती वंदना-मनोज कुमार मिश्र

सरस्वती वंदना जय शारदे, जय शारदे, जय शारदे, जय शारदे, दे ज्ञान का वरदान, औऱ अज्ञानता से तार दे।। जय शारदे……।। हम मुढ़ है, अज्ञानी है, अज्ञानता की खान है,…