माँ – रूचिका

जीवन की कड़ी धूप में शीतलता का एहसास, माँ हर रिश्तों से है जुदा बेहद हीं खास, माँ जीवन की आपाधापी में एक नरम ठाँव, माँ से ही जुड़ी है…

मिल जुलकर ये प्रण दुहराएं – रूचिका

आओ सब हम मिलजुलकर ये प्रण दुहराएं, हरित धरा के लिए सदा प्रयत्न हम कर जाएं। अनावश्यक पेड़ों की कटाई पर रोक लगे, अपने जीवनकाल में पेड़ अवश्य लगाएं। विकास…

स्त्री – रूचिका

मैं स्त्री संसार की धुरी, प्रेम और सम्मान की अधिकारी, नही अबला बेचारी, नही बनना तकदीर की मारी। अपनी किस्मत स्वयं लिखूँ, अपनी कहानी स्वयं गढ़ूं, सुनहरे भविष्य के लिए…

मैं गणतंत्र हूँ -रूचिका

मैं स्वतंत्र हूँ, मैं गणतंत्र हूँ, मैं जन जन का तंत्र हूँ, मैं आर्यावर्त ,मैं ही भारत, मैं ही विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र हूँ। एक राष्ट्र ,एक संविधान, एक…

बेटियाँ – रूचिका

बेटियाँ बनकर रहमत जिंदगी में आती, गौरैया सी आँगन में फुदक फुदक कर, घर आँगन की देखो शोभा है बढाती, जोड़ती है दो परिवारों को अपने प्रेम से कुछ इस…

हिंदी हमारी जुबान – रूचिका

हिंदी मेरी जुबान हिंदी मेरी पहचान, कभी भावनाओं के ज्वार थामे, कभी जज्बातों को दे पहचान। हिंदी मेरी जुबान कल्पनाओं के जो महल बनाई, दर्द की तीव्रता जब मन में…

हमारा बिहार- रूचिका

जय जय हो हमारा बिहार,जय जय हो प्यारा बिहार, विश्वपटल पर छाया बिहार,नही कभी हारा बिहार । गंगा सी पावन नदी यहाँ बहती, यहाँ की धरती विद्वता की कहानी कहती,…

चलो गणतंत्र मनाते हैं- रूचिका

चलो एक बार फिर जश्न मनाते हैं, आज़ादी का मंत्र और नियमों का है तंत्र गणतंत्र मनाते हैं। राजनीति पर देखो जातीयता हावी है, भाई भतीजावाद और क्षेत्रीयता प्रभावी है,…