बँटवारा-विनय कुमार

  बँटवारा  अक्सर ही खींच जाती है तलवारें हो जातें है मुक़दमे बन जाती है सरहदी लकीरें अपने ही घर में अपनो के बीच ज़मीन के चंद टुकड़ों और कागज़ी…

मेरा पूरा हिन्दुस्तान-विनय कुमार

मेरा पूरा हिंदुस्तान मेरा देश मेरा अभिमान और मेरा है भगवान अटक से कटक और कन्या से हिमालय मेरा पूरा हिंदुस्तान भूल अब अपनी सुधारेंगे हम पी.ओ.के, अक्साई ले लेंगे…

राष्ट्र हित का भाव जगे-विनय कुमार

राष्ट्रहित का भाव जगे मन अर्पण मेरा तन भी अर्पण राष्ट्र रक्षार्थ हो जाऊँ कण-कण प्राण जाए पर बोले ह्रदय तरंग मातृधरा का न हो पाए भंजन भाव यहीं जग…

बहन की प्रतीक्षा-विनय कुमार

बहन की प्रतीक्षा  भोर बेला में खड़ी घर के द्वारे विकल मन बहना नैना पसारे सुनसान सड़क है सुनसान राहें भरी धुंध-छाया में भैया को निहारे आने की आशा विश्वास…