हिंदी का सम्मान कहां है,राष्ट्र का अभिमान कहां है। सिमटी हैअस्तित्व बचाने,ऐसा भी सौभाग्य कहां है।। घर की मुर्गी दाल बराबर,आन गांव का सिद्ध यहां है। अंग्रेजी बन बैठी रानी,…
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बैगलेस शनिवार – संजय कुमार सिंह
डिमिक डिमिक डम डिम डिम डम डिमिक डिमिक डम डिम डिम डम । सुन लो मम्मी,सुन लो पापा चाचा – चाची तुम भी सुनो मौसा – मौसी, मामा – मामी…
निपुण भारत, निपुण बिहार – संजय कुमार सिंह
बच्चों की फुलवारी कितना महक रही है देखो तो मुनिया बेटी विद्यालय में चहक रही है देखो तो।। चहक – चहक कर बोल रही हर दिन विद्यालय आउंगी पढ़ना –…