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Tag: सुधीर कुमार

रास छंद- सुधीर कुमार

रास छंद- सुधीर कुमार

Anupama PriyadarshiniMarch 1, 20230

प्यारे बच्चों , तुम सब मिलकर , अब रहना । इस जीवन में , उत्तम विद्या , ही पढ़ना ।। सही कर्म में , रोज लगाना , तुम मन को…

कुंडल- सुधीर कुमार

कुंडल- सुधीर कुमार

Anupama PriyadarshiniFebruary 14, 20230

छंद – कुंडल मात्रा — 22 वर्ण —- 14 यति – 12 , 10 अंत — 2 ,2 2121 2121 , 2121 22 रोग हैं दहेज एक , जान लो…

गीतिका – सुधीर कुमार

गीतिका – सुधीर कुमार

Anupama PriyadarshiniJanuary 28, 20230

गीत छंद – गीतिका मात्रा — १४ २१२२ २१२२ , २१२२ २१२२ छोड़ दो तकरार सारे , प्रेम से कुछ बात कर लो । लड़ चुके हैं हम बहुत ही…

जय माँ  सरस्वती-सुधीर कुमार

जय माँ सरस्वती-सुधीर कुमार

Anupama PriyadarshiniDecember 25, 20220

मनहरण घनाक्षरी वर्ण — ८ ,८ ,८ ,७ अंत – लघु , दीर्घ वीणा पाणि मात मेरी , दया मिले हमें तेरी , शिशु हमें जान जरा , अंक भर…

अरिल्ल छंद -सुधीर कुमार

अरिल्ल छंद -सुधीर कुमार

Anupama PriyadarshiniNovember 30, 20220

अरिल्ल छंद मात्रा – १६ अंत – १२२ आपस में मत करो लढ़ाई । बच्चों कर लो खूब पढ़ाई ।। तुम अपना मत समय गँवाना । अच्छे बच्चे सदा कहाना…

अकड़म बकड़म  – सुधीर कुमार

अकड़म बकड़म – सुधीर कुमार

Anupama PriyadarshiniNovember 26, 2022November 26, 20220

अकड़म बकड़म छंद — पद्धरि मात्रा — १६ अंत – जगण बच्चे सब पूछें यह सवाल । सूरज क्यो होता लाल-लाल ।। क्यों नीला लगता आसमान । भौंहों को कहते…

श्रुति सम भिन्नार्थक शब्द  -सुधीर कुमार

श्रुति सम भिन्नार्थक शब्द -सुधीर कुमार

Anupama PriyadarshiniNovember 22, 20220

अंश मतलब हिस्सा होता, अंस का मतलब कंधा शूर मतलब वीर है होता, सूर का मतलब अंधा मीत का माने सबसे प्यारा, मित्र का अर्थ है साथी हस्त का अर्थ…

एकावली  – सुधीर कुमार

एकावली – सुधीर कुमार

Anupama PriyadarshiniNovember 8, 20220

मात्रा — १० यति — ५,५ अंत — दीर्घ २१२ , २१२ मौत से , जो डरे । आज ही , वो मरे ।। छोड़ दे , डर सभी ।…

बच्चे की कामना -सुधीर कुमार

बच्चे की कामना -सुधीर कुमार

Anupama PriyadarshiniNovember 4, 20220

नहीं चाहिए टॉफी,बिस्कुट , नई किताबें ला दो पापा । खेतों में अब काम छुड़ाकर , पढ़ने मुझे भिजा दो पापा । फिर से नाम लिखा दो मेरा , पढ़ने…

बालगीत – सुधीर कुमार

बालगीत – सुधीर कुमार

Anupama PriyadarshiniOctober 28, 20220

नाच रहा मन मोर है । कितनी सुन्दर भोर है ।। तारे सारे लुप्त है । लोग भला क्यों सुप्त हैं ।। सुनते कब वे शोर है । कितनी सुन्दर…

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