सूरज कब आएगा ठिठुरता धारदार मौसम छील-छील ले जाता है त्वचा बींधता पेशियों को गड़ जाता हड्डियों में/ पहुँच जाता मज्जा तक स्नायुओं से गुज़रता हुआ झनझना दे रहा तुम्हें…
SHARE WITH US
Share Your Story on
writers.teachersofbihar@gmail.com
Recent Post
- स्वच्छता हमारा मूलमंत्र – अमरनाथ त्रिवेदी
- देव दिवाली मनाएँ आज- रामकिशोर पाठक
- बच्चों जीवन को सादगी से अपनाना- रुचिका
- भारत के चमकते नूर- अमरनाथ त्रिवेदी
- चाचा नेहरू – रामकिशोर पाठक
- आओ गीत खुशी के गाएँ- अमरनाथ त्रिवेदी
- लें सबक प्रदूषण से- अमरनाथ त्रिवेदी
- छठी की महिमा जैनेन्द्र प्रसाद रवि
- छठ- महिमा – रत्ना प्रिया
- छठ पर्व की महिमा – अमरनाथ त्रिवेदी