हिल-मिल जाइए-राम किशोर पाठक 

आज हुआ है तमस घनेरा, दीप जलाइए। फैलाकर उजियारा जग का, मित्र कहाइए।। स्वार्थ भावना को तजने से, खोते कुछ नहीं। करना क्योंकर तेरा मेरा, हिल-मिल जाइए।। दुनिया की दस्तूर…