मुनिया पढ़ेगी मुनिया बढ़ेगी मुनिया, जग को रौशन करेगी मुनिया। घरों की है लक्ष्मी, सहेजो सँवारो, सफलता की सीढ़ी चढ़ेगी मुनिया। ज़रा-सी उड़ानें भरे जो ज़माना, परिंदों-सी फिर तो उड़ेगी…
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स्वरचित कविता का प्रकाशन
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