शिक्षक – कहमुकरी सबके हित को तत्पर रहता। अपने हक में कभी न कहता।। दोष गिनाते बने समीक्षक। क्या सखि? साजन! न सखी! शिक्षक।।०१ भूली बिसरी याद दिलाए। रोज नया…
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संस्मरण गीत – राम किशोर पाठक
संस्मरण गीत – राम किशोर पाठक चंद पैसों में भली वह, जिंदगी जीते हुए। आ रही है याद हमको, आज दिन बीते हुए।। बैठ चौपालें लगाकर, बात…
राष्ट्रीय एकता दिवस – राम किशोर पाठक
राष्ट्रीय एकता दिवस दिवस राष्ट्रीय एकता वाला। लेकर समरसता का माला।। आओ इसकी कथा सुनाएँ। सरदार पटेल से मिलवाएँ।। जन्म दिवस उनका है आज। संघटित भारत करने का काज।।…
भवानी आ गयी है – राम किशोर पाठक
भवानी आ गयी है, घर हमारे। खुशी अब छा रही है, जग निहारे।। किया वंदन उन्हें सब, चरण धोएँ। अलौकिक रूप देखा, मगन होएँ। हमारे पास आकर, आज बोली। हमारी…