टीकाकरण अपनाना है
जन जन तक अलख जगाना है
कोरोना को भगाना है तो भाई
ठान लो “टीकाकरण” अपनाना है…..
जाने कैसे ये महामारी की आफत आई
छीन ले गई खुशियों संग आज़ादी हमारी
बच्चों के चेहरे से मीठी मुस्कान छीन गई
मुहल्ले की गलियां भी डर से वीरान हो गई….
चहुँ ओर थी हाहाकार छाई
जाने इस अतुल्य घाटे की
कब और कैसे होगी भरपाई..?
जन-जन को काल के ग्रास में
जाने से टीकाकरण कर बचाना है
इसलिए तो “टीकाकरण” अपनाना है…
समझो बापू,समझो भाई,
समझो बहन, समझो ऐ माई
टीकाकरण में न करो ढिलाई
सबकी जान आफत में आई….
नित नए रूप बदलकर कोरोना आई
संकट के बादल पूरी पृथ्वी पर छाई
सांसों की अब है, हुई जिंदगी से लड़ाई
इस वायरस को पांव पसारने से रोकना है
तो निश्चित ही “टीकाकरण” अपनाना है…….
टीकाकरण बना रक्षाकवच हमारा
देर न करो भाई अब तुम टीका लगवाना
घर-घर है हमसबों को ये संदेश पहुंचाना
“टीकाकरण” जन जन को है अपनाना ।
मधु कुमारी
कटिहार