उम्मीदें
स्वप्निल रजनी के देश में
देखे जो ख्वाब,
उसे पूरा कर लेंगे आज,
अगर चलते रहे यूं ही
कर्मठता से कर्म के पतवार,
जरूर होगी ख्वाबों की निर्झरनी पार,
निकट होगी स्वप्निल चिर निशा की प्रभात,
चहूं ओर होगा बस कर्म का उन्माद,
बोलेंगे बस कर्म के बोल,
खुल जाएंगे तब स्वयं सफलताओं के पथ,
हो जाएगी चिर प्रतीक्षित उषा की श्री,
उम्मीदों की दृष्टि देंगी
सफलताओं को आहट,
खिल उठेंगे जीवन के वट वृक्ष।
प्रियंका दुबे
मध्य विद्यालय फरदा
जमालपुर मुंगेर
0 Likes