उन्हें समर्पित हर एक दिन
पापा जी को समर्पित
एक ही दिन क्यों
हर दिन है पापा जी
का दिन
आंखें खुलती हर सुबह जब
उठते ही आवाज आती
पापा जी की हर दिन
कैसी है मेरी बिटिया रानी
मेरी हर इच्छा, अरमान
जिद भी पूरी करते हर दिन
गिरती, पड़ती, संभलती
जब लड़खड़ाती मैं
उंगली पकड़कर दुनिया
दिखाते हर दिन
जीवन की राह के कांटे
चुनते जाते हर दिन
ज़िद से पहले ही
सब इच्छा पूरी
कर देते हर दिन
हमारी खुशियों को
अपनी इच्छा कह देते
हमारी गलतियों पर
खूब नाराज होते पर
गलतीयों को माफ भी
कर देते हर दिन
खेल खिलौने हर बाजी में
हमें हमेशा खुश कर देते
खुद हार कर हमें
जीताते हर दिन
हमारे व्यक्तित्व का स्तंभ,
नीव, निर्माण करते
स्वाभिमान, संस्कार, संस्कृति
के मूल्य समझाते हर दिन
हमारी खूबियों को उभारते,
संवारते, निखारते, सिखाते
कमियों को हमारी ताकत
बनाते हर दिन
नाकामियों पर साहस
के हौसलों से भर देते
कामयाबियों पर पीठ
थपथपाते हर दिन
पापाजी आपका प्यार
अनुशासन, समर्थन कर रहा
पग पग पर पथ प्रदर्शन
हम सब का हर दिन
पापा जी को समर्पित
सिर्फ एक दिन ही क्यों
हर दिन है पापा जी का दिन।
अपराजिता कुमारी
राजकीय उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय
जिगना जगरनाथ
हथुआ गोपालगंज