विद्यालयी बच्चे
यह बच्चे, प्यारे बच्चे, हमारे बच्चे,
जब सुबह विद्यालय आते हैं,
विद्यालय प्रांगण खिल जाता है,
वातावरण सुंदर हो जाता है।
जब हम प्यार से पढ़ाते हैं,
बच्चे के चेहरे खिल जाते हैं,
मायूसी की कोई जगह नहीं रह जाती,
प्रधानाध्यापक महोदय खुश हो जाते हैं।
बच्चों की ढेर सारी शरारत, वह मासूम सा चेहरा,
जिसे लेकर आते हमारे पास,
हम भी बन जाते उस समय जज और
सुनाते तुरंत फैसले खास।
बच्चों के बिना तो सूना है विद्यालय,
रह जाता विद्यालय विरान,
हम शिक्षक अच्छा पढ़ाते हैं तो
बढ़ जाता है हमारा मान-सम्मान।
हमें कुछ करना है, प्रेरणा का संचार करना है,
बच्चों का आत्मबल बढ़ जाएगा,
फिर कौन उसे रोक पाएगा।
मुकेश कुमार
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