उद्देश्य अनगढ को सुगढ बनाना शूलों मे सुरभि महकाना भटके को सम्यक राह सुझाना गहन तिमिर में रवि उगाना प्रतिपल हो उद्देश्य हमारा । बुझे मन मष्तिष्क विश्वास जगाना थके कदमों को मंजिल पहुँचाना बोझिल पर को नव उड़ान दिलाना सपनो को स्वरूप दिखाना प्रतिपल हो उद्देश्य हमारा । घृणा…
हाथ धुलाई शान बने अगणित कीटाणु रोगाणु पाते बसेरा पंजे में नख वज्रगृह हों जैसे पाते पोषण खुब मजे में । सुस्वादु व्यंजन संग सहज उतरते आमाशय में नयन नासिका की दरिया संग पाते विश्राम फुफ्फुस हलक में। कोटि-कोटि फौज संग करते संक्रमित अंग प्रत्यंग पल मे रूग्न होती काया…
ऐसे थे गाँधी प्रेम सद्भावों के मूरत बापू सत्य अहिंसा के पुजारी युगों तक रहेगी दुनियाँ तेरे सदकर्मो की आभारी। सरल जीवन दिव्य विचार आजीवन परोपकार सत्य में ईश्वर को ढूंढ सुवासित हुआ सुविचार । हिंसक प्रतिकूलन मिटा अहिंसक अनुकूलन दिया अनैतिक गठबंधन उखाड़ नैतिक संवर्धन किया। शोषित पीड़ित जनता…