ए ज़िन्दगी तेरे लिए
क्या क्या करना रह गया बाक़ी,
बस इतना बता दे ज़िन्दगी
बहुत भटक लिया गुमनामी में
ए जिंदगी तेरे लिए
जाना है कहाँ सपनों की ख़ातिर,
बस वो राह दिखा दे,
दर दर झुकाया सिर अपनों ग़ैरों के आगे,
ए ज़िन्दगी तेरे लिए,
हिम्मत है,अब भी अंदर,बस थोड़ी सी और बढ़ा दे आगे,
बिना रुके निरंतर चलती,ए जिंदगी तेरे लिए
मिल जाए और थोड़ी सी ख़ुशी बस उम्मीदों के दीप और जला दे,
काटे हैं,दिन रात आफ़त गर्दिश में,
ए ज़िन्दगी तेरे लिए
रचयिता-डॉ पूनम कुमारी
विशिष्ट शिक्षिका
उत्क्रमित मध्य विद्यालय,कोठिया
प्रखंड-दरियापुर
ज़िला-सारण
संपर्क-8797689364
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