देखो ना,
साल जो नया था
अब हाल उसका पूछो?
कभी जश्न में था डूबा
आज स्वयं डूब रहा है….
2023 आ रहा है
2022 जा रहा है
दफन हो जाएगा अब यह,
इतिहास के पन्नों में!
बहुत रूलाया तूने
बहुत सताया तूने
कभी गुदगुदाया भी
तो कभी किया नि:शब्द!
आज फाइनली जा रहे हो
तो , एक वादा करते जाना
फिर कभी 2022 बन के
किसी के जीवन में मत आना!
स्वागत है तेरा 2023
©नवाब मंजूर
#नवाबमंजूरकी_कविताएं
प्रधानाध्यापक, उमवि भलुआ शंकरडीह, तरैया ( सारण )
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