अच्छा मौका खो दिया –
छंद – कुण्डलिया
(०१)
अच्छा मौका खो दिया, हमनें उनके पास।
लौट वहाँ से आ गया, किया नहीं कुछ खास।।
किया नहीं कुछ खास, मिटा संशय कुछ मेरा।
पर अब भी कुछ प्रश्न, लगाता मन में फेरा।।
कोई हो हालात, मिले प्रश्नों का लच्छा।
रखें ईश विश्वास, कहूँ सब होगा अच्छा।।
(०२)
कितने मौके खो गयें, संशय हुआ न अंत।
व्याकुलता मन में सदा, कहते सारे संत।।
कहते सारे संत, चूक जो मौका जाता।
रोता किस्मत मान, नहीं अवसर फिर पाता।।
समाधान फिर भूल, गिनाता कारण जितने।
सबका है यह मूल, सुअवसर खोया कितने।।
(०३)
खोयें मौके हैं कई, जिसका पश्चाताप।
उसी वजह से आज भी, मिलता हर संताप।।
मिलता हर संताप, सदा कर्मो से उपजे।
समय हुआ प्रतिकूल, केशरी जैसे गरजे।।
हुआ बहुत है भूल, सोचकर हरपल रोयें।
नहीं मिला है लक्ष्य, कई हैं मौके खोयें।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज पटना।
संपर्क – 9835232978
