अदृश्य जीवन चालक- अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

कोई तो चलानेवाला होता है
यह जीवन क्या है ?
जहाँ संवेदनाओं के तार जुड़ते हैं,
अपने कहाने वाले भी मुड़ते हैं।
मनुष्य कभी अपनों से घिरा होता है,
कभी परायों से मिला होता है,
कभी परिस्थितियों का मारा होता है।
सुख- दुःख की छाँव में,
जीवन के दीये जलते हैं।
कभी अपने लिए,
कभी दूसरों के लिए।
लोग सपने संजोते हैं,
किसी के सपने पूरे होते हैं,
किसी के अधूरे ही रह जाते हैं।
कभी कर्म का फंदा गले अटकता है,
तो कभी दुर्भाग्य सामने खड़ा होता है।
जीवन तो सुख-दुःख रूपी पहिया है,
जो सदैव ऊपर-नीचे होता ही रहता है।
कभी-कभी सफर इतना आसान नहीं,
जितना दीखता है।
न चाहते हुए भी,
दिल के इतर समझौते करने पड़ते हैं।
कभी घूँट-घूँट कर जीना पड़ता है,
तो कभी दुःख दर्द में भी हँसना पड़ता है।
यहाँ अपनी मर्जी से कोई नहीं चलता,
कोई तो चलानेवाला होता है।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा
प्रखंड- बंदरा , जिला- मुज़फ्फरपुर

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