अब सुबह हुई जागो- स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

Snehlata

अब सुबह हुई जागो

क्या ऐसी सुबह होगी, जब दोष शमन होगा?
इस रात का अंधियारा,जब जड़ से खतम होगा,
घर घर की इक बाला, बालक भी सम होगा।
क्या ऐसी सुबह होगी, जब दोष शमन होगा?

प्रेम का आलिंगन, गठबंधन फेरों का,
निकाह में शर्तों का, आलिंगन डेरों का,
क्यों बेटी जले हरदम,दहेज की वेदी पर,
क्यों हलाला हुई बेटी, हैवान की नेति पर।
क्या ऐसी सुबह होगी, जब दोष शमन होगा?

तू अबला तबतक है,जबतक तू नहीं जगती,
तू शक्ति तू दुर्गा , तू काली कपालिनी है,
अब सुबह हुई उठ जा,अब दुष्ट दलन होगा ,
भारत की भूमि पर, देखो क्यों जले बेटी?
अब शमन हलाला का, सुन लो इसी पल होगा।
हाँ ऐसी सुबह होगी, अब दोष शमन होगा।

अब सुबह हुई जागो, अब दुष्ट दलन होगा,
समभाव व नव चेतन का,सृजन सफल होगा,
बस प्रेमानकुर होंगे, नहीं अब कोई छल होगा,
मानव का अंतर्मन, आनन्द विह्वल होगा।
अब ऐसी सुबह होगी, जब दोष शमन होगा।

      डॉ स्नेहलता द्विवेदी आर्या 

उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज, कटिहार

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