अमूल्य वरदान
रजस्वला हूं पाप नहीं
यह जीवन का आधार है ।
प्रकृति ने जो दिया हमें
यह अमूल्य वरदान है ,
इसके बिना जीवन नहीं
फिर भी क्यों यह नापाक है ।
मंदिर मस्जिद में प्रवेश नहीं
रसोई में जाना भी नासाज है
सदियों से रूढ़ियों में बंधा
क्यों अपना ये समाज है ।
होने वाली असहनीय पीड़ा से
वह आज भी क्यों अनजान है ।
सुरक्षित जो रखे हमें
वह आज भी खुद गुमनाम है ।
पैड के नाम से आज भी
आधी दुनियां अनजान है ,
सोच थोड़ी सी बदली है
पर अभी वो बात नहीं
रजस्वला हूं मैं अभी
यह कहने में कोई अभिशाप नहीं।
:- अंजना कुमारी झा
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अंजना कुमारी झा

