आऍं गुरु से तिलक लगा लें- रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान ‘

आऍं गुरु से तिलक लगा लें

आऍं गुरु से तिलक लगा लें,
काली छाया दूर भगा लें,
बीत गई गर्मी की छुट्टी,पाबस आया खास महीना।
ऐसा प्रेमिल भाव कहीं ना।।

लिए हाथ में स्वागत थाली,
राह जोहते शिक्षक मेरे,
सोए भाग्य खुलेंगे मेरे,
भागेंगे घनघोर ॲंधेरे,
जीवन सफल बनाने मेरे,बहा रहे हैं खूब पसीना।
ऐसा प्रेमिल भाव कहीं ना।।

सीता आई गीता आई,
सोनू मोनू दौड़ लगाए,
पहले-पहले के चक्कर में,
गिरते-पड़ते लाॅंघन आए,
स्नेह-सिंधु उमड़ रहे हैं,रहकर दूर नहीं अब जीना।
ऐसा प्रेमिल भाव कहीं ना।।

शाखों पर बैठे पक्षी सह,
बादल चहक रहे हैं नभ में,
दृश्य अजूबा खड़ा धरा पर,
है संजोग स्वर्ग दुर्लभ में?,
गिलहरियाॅं भी नाच रही हैं,नाच रही हैं स्वर्ग हसीना।
ऐसा प्रेमिल भाव कहीं ना।।


रामपाल प्रसाद सिंह ‘अनजान’
मध्य विद्यालय दरवेभदौर
प्रखंड पंडारक पटना बिहार

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