आजादी के दीवाने वे, गोली खाई, जेल गए,
फाँसी के फंदे को चूमा, हर संकट को झेल गए।
भारती के लाल जिन्होंने, अपना जीवनदान दिया,
जीवन की स्वर्णिम आयु को,भारत-भू के नाम किया,
वीरों की ये अमर कथाएँ, आजादी की थाती हैं,
रामायण व गीता की भाँति, कर्तव्य-पथ दिखलाती है।
स्वतंत्रता के सैनिक थे वे, हर खतरों से खेल गए।
फाँसी के फंदे को चूमा, हर संकट को झेल गए।
जन्म लिया है पावन भू-पर, खेल-कूद कर बड़े हुए,
ममता की आँचल में पलकर, घुटनों चलकर खड़े हुए,
इस मिट्टी से बनी जो काया, भू-तल में मिल जाएगी,
मातृभूमि की लाज बचाने, कैसे काम न आएगी।
सुगंधित मलय समीर बनकर, पंच-तत्व से मेल गए।
फाँसी के फंदे को चूमा, हर संकट को झेल गए।
रत्ना प्रिया
उच्च माध्यमिक विद्यालय माधोपुर
चंडी, नालंदा
