आजादी है, आजादी
गोरों से तो पा लिया,
अपनो से अभी बाकी है |
खुश क्यों हैं हम झांकी से,
अभी तो कारवां बाकी है ||
पाठ पढ़ा गए जो अहिंसा का,
वही हमारे बापू गाँधी है |
फैल रही है गली – गली में,
अभी भी हिंसा की ए आंधी है ||
भले ही बापू चले गए पर,
अभी तो उनका सपना बाकी है |
आजादी है आजादी
गोरों से तो पा लिया,
अपनो से अभी बाकी है ||
सिख दे गई जो वीरता का,
वही हमारी लक्ष्मीबाई रानी है |
जूझ रही हैं पथ – पथ पे,
अभी भी हमारी बिटिया रानी है ||
भले ही लक्ष्मी चली गई पर,
अभी तो उनका ए संघर्ष बाकी है |
आज़ादी है आजादी
गोरों से तो पा लिया,
अपनो से अभी बाकी है ||
सूत्र दे गए जो एकता का,
वही हमारे सरदार पटेल भाई है |
बिखर रहें हैं एक – दुसरे से,
अभी भी एकत्र कहाँ भाई – भाई है ||
भले ही पटेल चले गए पर,
अभी तो उनका ए एकीकरण बाकी है |
आज़ादी है आजादी
गोरों से तो पा लिया,
अपनो से अभी बाकी है ||
सोप गाए जो देश हाथ में,
वही सपूत असंख्य बलिदानी है |
डटे हुए हैं सीमाओं पे,
अभी भी वीर अभिमानी है ||
भले ही सपूत चले गए पर,
अभी तो उनका ए कर्ज बाकी है |
आजादी है आजादी
गोरों से तो पा लिया,
अपनो से अभी बाकी है ||
खुश क्यों हैं हम झांकी से,
अभि तो कारवां बाकी है ||
रचनाकार
राम पुकार महतो
प्र.प्रधानाध्यापक
प्रा. वि. जटमलपुर ढ़ाब, कहार टोली प्रखण्ड – कल्याणपुर, जिला – समस्तीपुर