उसके रिझाने से – एस.के.पूनम

S K punam

जाग कर कई रातें,
स्वप्निल है मेरी आँखें,
प्राप्त हुई दिव्य ज्योति,तम मिट जाने से।

फैल गया उजियारा,
छिप गया नभ तारा,
बगिया में फूल खिले,पौधे सींच जाने से।

मंडराता पुष्प पर,
मधुकर करे शोर,
हर्षित मिलिंद उर,मकरंद पीने से।

कंगन की खनखन,
पायल की रुनझुन,
बन गया चितचोर,उसके रिझाने से।

एस.के.पूनम।

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