खिल गई कड़ी धूप
समय के अनुरूप,
काली घटा छट गई, साफ हुआ आसमान।
झूमती पेड़ों की डाली
मही पर हरियाली,
धरती आबाद हुई, प्रकृति का वरदान।
पोखर तालाब भरे,
जलस्तर जमीं बढ़ें,
नदियाँ सजल जल, सरस हैं महीमान।
उमंग में पशु-पक्षी,
खेतीहर मजदूर,
कंठ बीच बाली ले के, खेतों में खड़ी है धान।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर पटना
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