कुंडलियां छन्द-मैथिली ( बैसाखी पर्व पर )
बैसाखी पाबैन में,दुलहिन रहूं जुड़ाय।
अचल रहय अहिबात आ, सुन्दर बनय सुभाय।।
सुन्दर बनय सुभाय,पतिव्रत धर्म निभायब।
करि उत्तम आचार,पितर के मान बढ़ायब।।
भक्ति करब दिन रैन,चरण गुरु पर सिर राखि।
बीतत फागुन चैत, सुखद होयत बैसाखी।।
स्वरचित:-
मनु कुमारी,
प्रखंड शिक्षिका,
मध्य विद्यालय सुरीगांव,बायसी
पूर्णियाँ_बिहार
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