खट्टी-मीठी यादें – रामकिशोर पाठक

 

बीत रहा यह साल है, देकर खट्टी-मीठी यादों को।
जीवन भर हम याद करेंगे, गुजरे कुछ संवादों को।।

कुछ लाएगी मुस्कान होंठ पर, कुछ ऑंखों में मोती।
कुछ से त्यौरियाँ चढ़े भौंहों पर, कुछ नेह भाव को बोती।।
कड़वी बातें होंगी भुलानी, बस याद करें आह्लादों को।
जीवन भर हम याद करेंगे, गुजरे कुछ संवादों को।।

कुछ जख्म देने को आए, कुछ मरहम लगाने को।
कुछ को कोई फर्क परा न, गर चाहा जख्म दिखाने को।।
अब ढोना नहीं मुनासिब, बेगैरत कुछ वादों को।
जीवन भर हम याद करेंगे, गुजरे कुछ संवादों को।।

कुछ अपनों की हुई पहचान, कुछ अपने पहचाने गए।
समय किसी का सगा नहीं, गुजरा जिसको पाने गए।।
कुछ जख्म है मिला अगर तो, भरने न देंगे मवादों को।
जीवन भर हम याद करेंगे, गुजरे कुछ संवादों को।।

कभी रौशन रहा रात भी, मानों दिन का हो उजियारा।
कभी वक्त ऐसा भी आया, नजर दिन को आए तारा।।
कुछ जीवन को दिशा दिए, हम भूलें न उन उस्तादों को।
जीवन भर हम याद करेंगे, गुजरे कुछ संवादों को।।

ऐसा अक्सर होता आया, शायद होता भी जाएगा।
पर इतना तय है फिर से, गुजरा वक्त लौट न आएगा।।
चलो चहक उठे आनंद से, कोसे क्यों कुछ प्यादों को।
जीवन भर हम याद करेंगे, गुजरे कुछ संवादों को।।

जीवन को है गति देना तो, कुछ चीजों को भूलना होगा।
जीवन का एक लक्ष्य मानकर, हमें निरंतर चलना होगा।।
दृढ़ निश्चय कर अब पाठक को, रखना है बुलंद इरादों को।
जीवन भर हम याद करेंगे, गुजरे कुछ संवादों को।।

राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश पालीगंज, पटना

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