नए साल की
नयी सुबह
नए सपने
आंखों में सजाए
नयी उम्मीदों की
अंगुली थामे
आंख मिचते
आज पूरा पटना
सड़कों पर नजर आया
सड़कों पर जनसैलाब
गजब उमड़ा था
युगों से गुमशुदा
खुशियों की तलाश में
लोग चल रहे थे कि
यूं ही बह रहे थे
कहना मुश्किल
जिधर देखिए
सिर ही सिर दिख रहा था
हर तरफ लंबी कतारें
हांफती सड़कें
दौड़ती भागती गाडियां
चाहे स्टेशन वाला
हनुमान मंदिर हो
या राजवंशी नगर के
हनुमान जी का दरबार
या इस्कॉन मंदिर
या कि चिड़ियाघर
इंसानों का हुजूम था
ठेलम ठेला भीड़ थी
तिल रखने की भी
जगह नहीं बची थी
दौड़ती भागती ज़िन्दगी
एक दूसरे को धकियाते हुए
धीरे धीरे रेंगती हुई
आगे सरक रही थी
भगवान के हर दरबार में
लंबी कतारें थीं
स्टेशन से पटना जी पी ओ
उससे दस कदम
आगे तक की कतारें
बयां कर रही थीं
इस भौतिकवादी
आधुनिक युग में भी
ईश्वर के प्रति आस्था
रत्ती भर भी
कम नहीं हुई
आदम युग से जारी
खुशियों की तलाश
बदस्तूर आज भी
पूरे जोश खरोश से जारी है
मीरा सिंह “मीरा”
+२, महारानी उषारानी बालिका उच्च विद्यालय डुमराँव जिला-बक्सर, बिहार