गणतंत्र की शान पर ही,
चल रहा यह देश है।
वैशाली की पावन धरा से,
शुभ मिल रहा संदेश है।
गणतंत्र का अवतरण यहाँ,
गणतंत्र की यह जान है।
इस महती धरा से जो जुड़ा,
उसका स्वर्णिम ललित विहान है।
गणतंत्र के मानस पटल से,
जो हो रहा सत्कार्य है।
जन-जन में जो प्रीति बोये,
यह कोटि जनों को स्वीकार्य है।
दिग्भ्रमित न कोई कर सके,
यह ऐसा पथ है न्याय का।
हम मुश्किलों से पार पाते,
दंड भी मिलता अन्याय का।
जन-जन की आकांक्षा संजोए,
चमक रहा यह पावन देश है।
जनतंत्र के बढ़ते चरण से,
यहाँ मिट रहा सब क्लेश है।
जन-जन की आकांक्षा से,
यह अनुनादित भारतवर्ष है।
विश्वास की महती धरा पर,
प्रत्येक दिलों में हर्ष है।
गीता, रामायण आदि ग्रंथों से,
जो मिल रहा उपदेश है।
हर रगों के पावन पलों में,
यह दिख रहा परिवेश है।
यह देश अपने करों से,
प्रगति के सारे इबारत लिख रहा।
अपने स्वर्णिम सुनहरे काल की,
अब पटकथा भी लिख रहा।
आज गणतंत्र के पावन दिवस पर,
हम कोटि सुमन बरसा करें।
निज गणतंत्र की अभिवृद्धि में,
सब लोग मिल हर्षा करें।
भारत की शान सकल विश्व में,
यों ही शीर्ष पर चमकता रहे।
इस गणतंत्र की पावन धरा पर,
हर जन यों ही दमकता रहे।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड-बंदरा, जिला-मुजफ्फरपुर
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