गरल सहज जो पी लेते हैं – स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

Snehlata

गरल सहज जो पी लेते हैं

मधुर सुधा रस पी लेते हैं,
बोलो देखा है कल किसने,
प्रतिपल जीवन जी लेते हैं,
आओ थोड़ा जी लेते हैं।

बैठे गुमसुम गुमसुम क्यों तुम,
क्यों अँखियाँ तेरी हैं भींगी,
सुंदर जीवन संघर्ष यही,
रण जीतेंगे प्रण लेते हैं।
आओ थोड़ा जी लेते हैं..

पथ में कंटक रहें अनेकों
फिर भी चलना ही जीवन है,
मंजिल दूर भले दिखती हो,
दूरी चल हम झट लेते हैं।
आओ थोड़ा जी लेते हैं

अपने गम से क्यों घबराना,
दूजे का गम पी लेते है।
जीना तो बस उसका जीना,
गरल सहज जो पी लेते हैं।
आओ थोड़ा जी लेते हैं.

डॉ स्नेहलता द्विवेदी “आर्या”
उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज कटिहार

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