मनहरण घनाक्षरी छंद देश के सपूत करें, रोज दिन निगरानी, भारत की सीमा पर, सेना की निगाह है। दिन नहीं चैन मिले, रात नहीं नींद आती, देश की सुरक्षा हेतु, जिन्हें परवाह है। बाहर के दुश्मनों से, हमें सावधान करें, हलचल देखते ही, करते आगाह हैं। ऊँचा रहे भाल वहाँ,…
पत्तियां है हरी-हरी, वृक्ष लगे जैसे परी, पेड़ों में झूमते ये -पुष्प अमलतास के। खुब जब मिले प्यार, हंसता है परिवार, परिवेश खुशनुमा, होते आसपास के। नभ से फुहार गिरे , किसानों के दिन फिरे, खेत खलिहान बिछे, पौधे नर्म घास के। रिश्ते की डोर "रवि,' मजबूत होते तभी, संबंधों…
बादल से जल मिले, भोजन से बल मिले, कभी कहीं तेल बिना, दीप नहीं जलता। काल पा के बड़ा होता, समय से खड़ा होता, बसंत के आने पर, वृक्ष भी है फलता। पढ़ाई के समय में, छात्र जो आलस करे, उम्र बीत जाने पर, बैठ हाथ मलता। अपनों को प्यार…