पूरब में देख लाली,
झूमती है डाली डाली,
धरती आबाद होती, सूरज किरण से।
बसंत बहार देख,
फूलों की कतार देख,
तितली ऋंगार कर, पूछती मदन से।
जंगलों में कंद-मूल,
डालियों में फल-फूल,
जीव ऊर्जावान होता, शीतल पवन से।
पक्षियों की सुन शोर,
सुबह बिस्तर छोड़,
दिन का आगाज करें, गुरु को नमन से।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
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