छठ पर्व – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra Prasad Ravi

विद्या:- मनहरण घनाक्षरी छंद


छठ व्रती आस रख,
मन में विश्वास रख,
खुद निराहार रह, करते हैं खरना।

शाम-सुबह सूर्य को
करते हैं अर्घ्य दान,
व्रतियों को रात-दिन, पड़ता है सहना।

घाट से वापस आते
परिजन मित्र-गण,
प्रसाद ग्रहण करें, होता जब परना।

सूर्य की उपासना से
कुष्ठ रोग दूर होता,
संपत्ति-संतान मिले, लोगों का है कहना।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

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