छागर की माॅ॑ बकरी कहती है
क्या यहीं है नवरात्रि का त्योहार,
जिस त्योहार में की जाती है
मेरे आगे मेरे बच्चों की मार-काट।
मत मारो मेरे बच्चे को
न दो मेरे आगे मेरे बच्चों का बलिदान,
दर्द होता है हमें भी तब
जब मेरे आगे मरता है मेरा संतान।
मरने से पहले मेरे बच्चे को
ले जाते हो कराने स्नान,
पहनाते हो फूलों की माला
हाथों में रखते हो म्यान।
जब ठंड से सिहरता है मेरा बच्चा
तब कहते हो छागर की हो गई परीक्षा,
फिर हाथों में लेते हो तलवार
और जय माता दी कहकर
करते हो
मेरे बच्चे का गला हलाल।
फिर उसको टुकड़े में काटकर
बनाते हो माॅ॑स का प्रसाद,
फिर सब खुशी-खुशी से बैठकर
खाते हो तुम पूरे परिवार।
देखो मैं हूॅ॑ जानवर आप हो इंसान
जिस ईश्वर ने आपको बनाया,
उन्हीं ईश्वर के हम भी हैं संतान
फिर क्यों लेते हो हम सबकी जान।
छागर की माॅ॑ बकरी कहती है
क्या यही है नवरात्रि का त्योहार,
जिस त्योहार में की जाती है
मेरे आगे मेरे बच्चों को मार- काट।
नीतू रानी” निवेदिता”
पूर्णियाॅ॑ बिहार।