नश्वर दुनिया में है धर्म केवल शाश्वत, लोभ-मोह छोड़कर, नित्य करें प्रेमदान। जगत पिता से यहां कुछ भी है छिपा नहीं, आते जाते रात दिन, देख रहा दिनमान। पेट भरने के लिए दाल- रोटी ही चाहिए, धरती है सेज जैसी, छत बना आसमान। वक्त और उम्र नहीं रुकता किसी के…
रूप घनाक्षरी छंद कार्य करने से पूर्व फल पे विचार करें, बिना सोचे करने से, जी का बनता जंजाल। स्थाई होता सुख नहीं भोग और विलास में, जगत की चकाचौंध, पुष्प जैसे दिखें लाल। दुनिया में फंस जाते, माया में लिपटकर, मोह वश आदमी को, दिखता नहीं है काल। क्षणिक…
शिक्षक शिक्षक शिक्षा दान करें, निज शिष्यों का अज्ञान हरें । जाति-धर्म से परे रहकर, मानवता का कल्याण करें। हम दुनियाँ के लोगों में शिक्षा का अलख जगाते हैं, अशिक्षित, असभ्य लोगों में ज्ञान की ज्योति जलाते हैं। दीन, सबल हो कोई प्राणी, शिक्षा बिना है अज्ञानी, अक्षर ज्ञान की…