जरा जरा-सी बात पर,
दिल को कभी न रूठाइए।
जरा जरा-सी बात पर,
मन को कभी न दुखाइए।
निज घर की गुप्त बातों को,
बाहर कभी न फैलाइए।
घर के झगड़ा झंझट को,
घर में ही सुलझाइए।
जब दुःख तकलीफ आ पड़े,
मन को धीरज भी दिलाइए।
सदा प्यार से, सम्मान से,
दूसरों को पास बुलाइए।
सदा प्रेम की बातों को,
अपने अंतस् में उतारिए।
खुद सम्मान पाना हो तो,
दूसरों को भी सम्मान दिलाइए।
जरा जरा-सी बात पर,
दिल को कभी न रूठाइए।
जरा जरा-सी बात पर,
मन को कभी न दुखाइए।
कभी पर दोष न देख,
अपना दोष निहारिए।
दिल पर हाथ रख सदा,
अपनी भूल सुधारिए।
कभी अपनी गलती पर,
दूसरों को दोष न लगाइए।
खुशी जीवन जीना हो तो,
बीती बातों को भुलाइए।
अपने को खुश रखना हो तो,
मन परोपकार में लगाइए।
जीवन सुधारना हो तो,
राम नाम गाइए।
जरा जरा-सी बात पर,
दिल को कभी न रूठाइए।
जरा जरा-सी बात पर,
मन को कभी न दुखाइए।
अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड-बंदरा,ज़िला-मुज़फ्फरपुर