जल बूँदों के संग में – मुक्तामणि छंद गीत
वर्षा आती देखकर, झूम उठे हैं सारे।
जल बूँदों के संग में, जीवन राह निहारे।।
झुलस गयी धरती लगी, गीत नयी है गाने।
पेड़ों के पत्ते सजे, गाने लगे तराने।।
खेत-खलिहान की महक, कृषि की है पतवारे।
जल बूँदों के संग में, जीवन राह निहारे।।०१।।
लगा फूटने अँकुर अब, तरुवर हैं मुस्काते।
जीव चराचर मस्त है, चिड़िया मिलती गाते।।
अन्न भंडार बढ़ रहा, जिसपर करें गुजारे।
जल बूँदों के संग में, जीवन राह निहारे।।०२।।
भूजल संचय कर सदा, जीवन सबका ढोता।
अन्न, फूल, फल लग रहें, जिससे पोषण होता।।
वर्षा जल संग्रह करें, जीवन सदा सँवारे।
जल बूँदों के संग में, जीवन राह निहारे।।०३।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
