जल संरक्षण – नवाब मंजूर

Nawab

है जरूरी
क्योंकि
अनमोल है जीवन
आपका मेरा सबका
विशालकाय जीव और तुच्छ का!

शरीर भी बना है इसका
जीवन से है जो रिश्ता

वनस्पतियां हैं बहुमूल्य संपदा
जलपर ही है उनकी निर्भरता
अतिसूक्ष्म शैवाल हो या
विशाल बरगद का पेड़
जल बिन हैं सब फेल।

प्यास जीवों की बहुत बड़ी है
धरा पर मृदुजल की बहुत कमी है!
देखो तो गर्मी कितनी है?
बिन जल धरा हो जाती मरुभूमि है।

जो ना होंगे पौधे
गिरेंगे सब मुंह औंधे
बिन प्राणवायु
आखिर जीयेंगे हम-सब कैसे?

पौधे ही तो हैं प्राणवायु के स्त्रोत
बिन जल पौधे होंगे क्या सोच?

व्यर्थ न बहाओ
प्रदूषण से जल को बचाओ
जितनी जरूरत
उतना ही खपाओ
कचरे नदियों में न बहाओ।

समय पूर्व सभी चेत जाओ
संरक्षण के ठोस कदम उठाओ

वरना आएगी आपदा बड़ी
बूंद बूंद को तरसेंगे सभी
जल की खेती शुरू करो अभी
हो सके जितनी जल्दी!
जल नहीं तो कल नहीं
विद्वानों की है बात सही।

© नवाब मंजूर
प्रधानाध्यापक, उमवि भलुआ शंकरडीह
तरैया (सारण)

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